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बुधवार, 4 मार्च 2009

एक वृक्ष देता है 15.70 लाख के बराबर सम्पदा

वृक्ष हैं तो जीवन है। वृक्षों के बिना धरती बंजर है। वृक्ष न सिर्फ धरती के आभूषण हैं बल्कि मानवीय जीवन का आधार भी हैं। वृक्ष हमें प्रत्यक्ष रूप से फल-फूल, चारा, कोयला, दवा, तेल इमारती लकड़ी के साथ जलाने की लकड़ी इत्यादि प्रदान करते हंै। वृक्ष से हमें वायु शुद्धीकरण, छाया, पशु प्रोटीन, आक्सीजन के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें मिलती हैं जिन्हें प्राप्त करने के लिए हमें लाखों रूपये 15 लाख 70 हजार खर्च करने पड़ते। एक वृक्ष अपने जीवनकाल में जितनी वायु को शुद्ध करता है उतनी वायु को अप्राकृतिक रूप अर्थात मशीन से शुद्ध किया जाय तो लगभग 5 लाख रूपये खर्च करना पड़ेगा। इसी तरह वृक्ष छाया के रूप में 50 हजार, पशु-प्रोटीन चारा के रूप में 20 हजार, आक्सीजन के रूप में 2.5 लाख, जल सुरक्षा चक्र के रूप में 5 लाख एवं भूमि सुरक्षा के रूप में 2.5 लाख के साथ हमारे स्वस्थ जीवन के लिए कुल 15 लाख 70 हजार रूपये का लाभ पहुँचाता है। पर आज का मानव इतना निष्ठुर हो चुका है कि वृक्षों के इतने उपयोगी होने के बाद भी थोड़े से स्वार्थ व लालच में उन्हें बेरहमी से काट डालता है। उसे यह भी याद नहीं रहता कि हमारे पूर्वजों ने वृक्षों को संतान की संज्ञा देते हुए इन्हें धरती का आभूषण बताया है। जरूरत है कि लोग इस मामले पर गम्भीरता से सोचें एवं संकल्प लें कि किसी भी शुभ अवसर पर वे वृक्षारोपण अवश्य करेंगे अन्यथा वृक्षों के साथ-साथ मानव-जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा।

18 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर जानकारी. वाकई हमें सचेत होने की जरुरत है.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

वृक्ष हमारे स्वस्थ जीवन के लिए कुल 15 लाख 70 हजार रूपये का लाभ पहुँचाता है। पर आज का मानव इतना निष्ठुर हो चुका है कि वृक्षों के इतने उपयोगी होने के बाद भी थोड़े से स्वार्थ व लालच में उन्हें बेरहमी से काट डालता है।.....आकांक्षा जी! आपने तो पूरा हिसाब-किताब ही रख डाला.यह आपने आप में अनूठी जानकारी है और भविष्य के प्रति चेतना जाग्रति का कार्य भी.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Thanks for this wonderful knowledge.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

जरूरत है कि लोग इस मामले पर गम्भीरता से सोचें एवं संकल्प लें कि किसी भी शुभ अवसर पर वे वृक्षारोपण अवश्य करेंगे अन्यथा वृक्षों के साथ-साथ मानव-जीवन भी खतरे में पड़ जायेगा।
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काश कि लोग इस पर अमल करते तो धरती को फिर से स्वर्ग बनाया जा सकता.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

वृक्ष वाकई धरती के भूषण हैं, पर आज के औद्योगिक समाज में लोगों को भावनाओं से कम पैसों से ज्यादा मतलब हो गया है. पेड़ रोज कट रहे हैं, सरकार रोज नई योजनायें बना रही है, पर जब तक मनुष्य स्वयं अपनी तरफ से पहल नहीं करेगा, किसी योजना का कोई मतलब नहीं. एक सारगर्भित पोस्ट के लिए शुक्रिया.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

...यहाँ तो मानव ही आपने पांव पर कुल्हाडी मार रहा है, सब कुछ जानते हुए भी बहती गंगा में हाथ धो रहा है. आखिर कोई वास्तविक रूप में सद्प्रयास तो करे.

अनुनाद सिंह ने कहा…

वृक्ष हमे आक्सीजन देते हैं जो,प्राणवायु है। वृक्ष हमें फल देते हैं जो विटामिन (जीवन-सत्व) से भरपूर होते हैं। वे हमे इंधन (उर्जा)देते हैं जिसके बिना कोई काम हो ही नहीं सकता। वे हमे औषधियाँ प्रदान करते हैं। वे हमे घर बनाने के लिये लकड़ी देते हैं।

वृक्ष हमे जीने का अधिकार देते हैं और हम ?

Hari Joshi ने कहा…

अनुनाद जी हम उन पर कुल्‍हाड़ी चलाते हैं। अपनी जेबें भरते हैं।
बहुत शानदार पोस्‍ट। बधाई।

समयचक्र ने कहा…

बहुत शानदार पोस्‍ट...शुक्रिया.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बहुत बढिया जानकारी प्रदान की आपने........आज वास्तव में ये जरूरत है कि वृ्क्षारोपण की एक स्वस्थ परंपरा विकसित की जाए।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वृक्ष अमूल्य धरोहर,
रक्षा नियमित करना होगा।
जीवन की खातिर,
जंगल को जीवित रखना होगा।

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] ने कहा…

आकांक्षाजी,
आपकी जानकारी दुरूस्त है। लोगो की सोंच इस तरह का होना चाहिए तभी आपका लेख ऊँचाई छुएगा।
बहुत-बहुत आभार!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

BAHUMOOLYA JANKARI KE LIYE DHANYAWAAD

hem pandey ने कहा…

हमारी संकृति में पेड़ - पौधों को महत्त्व दिया गया है. तुलसी का पौधा और पीपल का वृक्ष पूजा जाता है.वनस्पति में प्राण हैं- इस तथ्य को भी हमारे वैज्ञानिक ने ही दुनियाँ को बताया था.सभ्यता के विकास के साथ ही मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए वनस्पति और अन्य प्राणियों का शोषण किया है. पेड़ों का काटना भी इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है. इसे पूरी तरह रोका नहीं जा सकता. उदाहरण के लिए सड़कें बनाने के लिए जंगल काटने ही पड़ते हैं.हाँ पेड़ और जंगल बचाने के भरपूर प्रयत्न और यथा संभव वृक्षारोपण की ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

शैफालिका - ओस की बूँद ने कहा…

बहुत खूब कहा है। यहाँ भी नजरें इनायत करें।
पल भर

शरद कुमार ने कहा…

आज के दौर में लोगों को सचेत करती एक लाजवाब पोस्ट.

शरद कुमार ने कहा…

आज के दौर में लोगों को सचेत करती एक लाजवाब पोस्ट.

बेनामी ने कहा…

बड़ी रोचक जानकारियों से परिपूर्ण है आपका यह ब्लॉग...बधाई.