आपका समर्थन, हमारी शक्ति

शुक्रवार, 15 मई 2009

एक गाँव के लोगों ने दहेज़ न लेने-देने का उठाया संकल्प

दहेज लेने के किस्से समाज में आम हैं। इस कुप्रथा के चलते न जाने कितनी लड़कियों के हाथ पीले होने से रह गये। प्रगतिशील समाज में अब तमाम ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहाँ लड़कियों ने दहेज लोभियों को बारात लेकर वापस लौटने पर मजबूर किया या बिना दहेज की शादी के लिए प्रेरित किया। इन सब के बीच केरल का एक गांँव पूरे देश के लिए आदर्श बन कर सामने आया है। मालाखुरम जिले के नीलंबर गाँव के लगभग 15,000 युवक-युवतियों ने प्रण किया है कि इस गाँव में न तो दहेज लिया जाएगा और न ही किसी से दहेज मांगा जाएगा। यह प्रण अचानक ही नहीं लिया गया बल्कि इसके पीछे एक सर्वेक्षण के नतीजे थे। इस सर्वेक्षण के दौरान पता चला कि गाँव में लगभग 25 प्रतिशत लोग बेघर थे और बेघर होने की एकमात्र वजह दहेज थी। ग्रामीणों को अपनी बेटियों की शादी के लिए अपना घर बेचना पड़ा था। हर शादी पर तीन-चार लाख खर्च होते हंै और इसकी वजह से लोगों को अपना मकान व जमीन बेचनी पड़ती है और अन्ततः वे कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं। इससे मुक्ति हेतु गांव को दहेजमुक्त बनाने का यह अनूठा अभियान आरम्भ किया गया है। फिलहाल इस पहल के पीछे कारण कुछ भी हो पर इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए और आशा की जानी चाहिए कि अन्य युवक-युवतियां भी इससे सीख लेंगे !!

24 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

Bahut sundar prayas.Iski jitni bhi tarif ki jay kam hogi.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

ईश्वर करे वे अपना संकल्प निभा सकें.

KK Yadav ने कहा…

अभिनव प्रयास....हमारी शुभकामनायें साथ है.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

युवा पीढी से ऐसे ही सकारत्मक क़दमों की आशा की जाती है.

'' अन्योनास्ति " { ANYONAASTI } / :: कबीरा :: ने कहा…

दहेज़ , दाय+हेत का ही एक रूप है जिसका भावार्थ है सम्पत्ति का वह भाग जो उत्तराधिकार के रूप में मिला हो , विवाह के समय पिता की सम्पत्ति में पुत्री ( वधू ) का उत्तराधिकार धन ही दहेज है | सैद्धांतिक रूप से तो इसपर वधू ( पुत्री ) का ही अधिकार होता है | और अगर दहेज लिया दिया ना जाए तो उचित ही है, क्यों की अब यह परंपरा के स्थान पर एक रूढ़ि का रूप लेकर एक बाध्यता हो चुकी है | " नक्षत्र-1 "

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

दहेज़ जैसी कु-प्रथा का विरोध होना ही चाहिए.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

दहेज़ जैसी कु-प्रथा का विरोध होना ही चाहिए.

Bhanwar Singh ने कहा…

ऐसे लोग समाज के लिए प्रेरक हैं.

शरद कुमार ने कहा…

बहुत-बहुत बधाई उन लोगों को जिन्होंने ये संकल्प उठाया.

शरद कुमार ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

ऐसी खबरें प्रिंट-मीडिया का ध्यान नहीं आकर्षित कर पातीं. ब्लॉग पर ऐसी खबरें देखकर सुकून मिलता है.

Unknown ने कहा…

समाज का चेहरा बदल रहा है, अब दहेजासुरों को भी अपना चरित्र बदलना होगा.

प्रकाश पाखी ने कहा…

आकांक्षा जी,
बेटे को आपने जो स्नेह प्यार और आर्शीवाद दिया है उसके लिये ह्रदय से आभारी हूँ....आपकी टिप्पणी बहुत अच्छी लगी....
आपका शुक्रिया कहने आपके ब्लॉग पर आया तो एक महत्वपूर्ण विषय पर जीवंत विचार पढने को मिले....समाज में औरत माँ,बहन ,वधु और बेटी के रूप में जीवन का अभिन्न अंग होने के बावजूद पुरुष प्रधान मानसिकता वाला समाज समाज के समस्त पद सोपान पुरुष की सफलता से ही आकलित करता है...उसीसे पुरुष के अहम और श्रेष्ठता के रूप में दहेज़ दानव के रूप में मौजूद है...ऐसी स्थिति में ऐसे पवित्र संकल्प लेने वाला गाँव और उसको सामने लाने केलिए आप साधुवाद के हक़दार है...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपके सार्थक प्रयास के लिए,
साधुवाद।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sankalp purn ho. shubhkaamnayen.

Urmi ने कहा…

पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ कि आपको मेरी शायरी पसंद आई !
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने!मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने!दहेज़ जैसी कु प्रथा को हमेशा के लिए निकाल देना चाहिए पर ऐसा हमारे देश में कब होगा ये बताना बहुत मुश्किल है!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

बेहद कठिन पर रोचक संकल्प है....ईश्वर सफलता दे.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

बात तो बड़े पते की है...पर आगे-आगे देखिये होता क्या है ??

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

"इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए "बहुत बहुत धन्यवाद.

Arvind Gaurav ने कहा…

kya baat hai .....aapne etni achhi aur sakaratmak kabar ham tak pahunchayi...aapka aabhar

Sajal Ehsaas ने कहा…

ek sabhy samaaj me dahej ki koi jagah nahi banti...log kisi ko bhi blame kare mere hisaab se sabse zyaada galti un padhe likhe yuva logo ki hai,jo is cheez ke liye maan jaate hai...kabhi lobh me to kabhi mata-pita ke dabaav me....

कंचनलता चतुर्वेदी ने कहा…

हमारी शुभकामनायें साथ है....