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रविवार, 31 जनवरी 2010

अब किताब को पढ़कर भी सुनायेगी कलम

यह सुनने में आश्चर्यजनक लगता है, पर है सच. अब एक ऐसे कलम का इजाद हो चुका है, जो आपको किताब पढ़कर भी सुनाएगी. जिस शब्द पर आप उसे रख देंगे, वह उसे बोलकर सुना देगी. टेक्नॉलाजी की दुनिया में इसे ''मल्टीमीडिया प्रिंट रीडर (एमपीआर)'' कहते हैं, जो बोलने वाली कलम की मदद से आपके सामने बोलती किताब ले आती है. इस अनूठे कलम को भारत में प्रगति मैदान में लगने वाले पुस्तक मेले में शनिवार को लॉन्च भी कर दिया गया है. भारत में इस कलम को आदर्श कंपनी द्वारा पेश किया गया है और अभी भारत में मात्र 50 किताबें एमपीआर फॉर्मेट में आई हैं. दुनिया भर में अभी ऐसी महज 500 किताबें ही उपलब्ध हैं, लेकिन यह नया कॉन्सेप्ट है और इनकी तादाद तेजी से बढ़ रही है।

यह कलम मात्र किसी किताब पर रखने मात्र से नहीं बोलती बल्कि दुनिया भर में इसके लिए खासतौर से एमपीआर रेडी बुक्स लॉन्च की जा रही हैं। एमपीआर फॉर्मेट में किताब को लॉन्च करना बेहद आसान है क्योंकि उसकी सिर्फ ऑडियो फाइल बनानी पड़ती है। इसमें किताब की ऑडियो फाइल बना ली जाती है और किताब पर दो-आयामी (2डी) कोड लगा दिया जाता है। ऑडियो फाइल को कलम में लोड करने के बाद जैसे ही इसे किताब पर लगे लोड के आगे लाते हैं, कलम एक्टिव हो जाता है और शब्दों को पहचान कर बोलने लगता है। इस बोलने वाले कलम में एक इनबिल्ट स्पीकर, कैमरा और दो जीबी का मेमरी कार्ड है। जिस किताब को आप इस कलम की मदद से पढ़ना चाहते हैं, उसे पब्लिशर की साइट से कलम में डाउनलोड करना होगा। डाउनलोड का सिस्टम ऐसा है कि एक कोड की मदद से आप इसे कलम में लोड कर सकते हैं। मेमोरी अगर फुल हो जाए तो फ़िलहाल आपको पुरानी किताब डिलीट करनी होगी। आशा की जानी चाहिए की जल्द ही ज्यादा मेमोरी वाले मॉडल भी लाए जाएंगे।

इस अद्भुत कलम के कई फायदे भी हैं। विदेशी भाषा सीखने वालों के लिए यह बेहद प्रभावी चीज साबित हो सकती है क्योंकि आपके सामने स्पेलिंग होती है,उसका अर्थ होता है लेकिन उसे कैसे बोलें,यह समझ नहीं आता। बोलने वाला कलम इस काम को आसान बना सकता है। इसके अलावा, गरीब इलाकों में बच्चों के लिए यह कलम कामयाब टीचर का रोल भी निभा सकता है। डिस्लेक्सिया की मुश्किल को भी बोलने वाले कलम की मदद से कम किया जा सकता है। नेत्रहीनों के लिए तो यह वरदान ही साबित होगा। फ़िलहाल यह पेन 7000 रुपये का है लेकिन गांवों, गरीब इलाकों और नेत्रहीनों के लिए इसे सस्ते में पेश करने के लिए एनजीओ और सरकारी एजेंसियों से मदद ली जा सकती है।

17 टिप्‍पणियां:

Bhanwar Singh ने कहा…

बहुत महत्वपूर्ण जानकारी. इससे काफी आसानी भी हो जाएगी.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आकांक्षा यादव जी अपने बड़ी सुन्दर बात बताई. भारत में इसे लांच करने से यह हम सभी के लिए काफी उपयोगी साबित होगा.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

आकांक्षा यादव जी अपने बड़ी सुन्दर बात बताई. भारत में इसे लांच करने से यह हम सभी के लिए काफी उपयोगी साबित होगा.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

Ab to pustakon ko sote-sote padhne ka khub maja ayega.

Shahroz ने कहा…

फ़िलहाल यह पेन 7000 रुपये का है लेकिन गांवों, गरीब इलाकों और नेत्रहीनों के लिए इसे सस्ते में पेश करने के लिए एनजीओ और सरकारी एजेंसियों से मदद ली जा सकती है।
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आपका सुझाव बेहद प्रासंगिक है.

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

bahut mahatwapurn aur umda jaankari aabhaar.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

...Aji ye to kamal ho jayega. Budhape men bhi aram se padhne ka maja ayega.

बेनामी ने कहा…

इसे कहते हैं टेक्नालाजी..पर आम आदमी तक पहुंचे तब न.

sandhyagupta ने कहा…

Badi achchi baat batayi apne.Shubkamnayen.

शरद कोकास ने कहा…

महत्वपूर्‍ण जानकारी ।

Unknown ने कहा…

Mujhe iska besabri se intzar rahega.

S R Bharti ने कहा…

महत्वपूर्ण जानकारी. इससे तो क्रांतिकारी परिवर्तन होगा.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

..पर डर तो इस बात का भी है कि लोग तकनीक की आड में आलसी न हो जाएँ.

मन-मयूर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
मन-मयूर ने कहा…

एमपीआर फॉर्मेट में किताब को लॉन्च करना बेहद आसान है क्योंकि उसकी सिर्फ ऑडियो फाइल बनानी पड़ती है। इसमें किताब की ऑडियो फाइल बना ली जाती है और किताब पर दो-आयामी (2डी) कोड लगा दिया जाता है।
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अरे भाई नुस्खा पेटेंट करा लें, नहीं तो कोई ले उड़ेगा.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

तकनीकों के संजाल में मानव रोज उलझता जा रहा है. पर तकनीकों को उतना ही इस्तेमाल किया जाय जहाँ तक वे मानवता के हित में हैं. यह तकनीक मानवता के हित में प्रतीत होती है. इसके व्यापक प्रचार-प्रसार की जरुरत है.

Shyama ने कहा…

Nice information.