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गुरुवार, 10 जून 2010

बचपन के करीब, प्रकृति के करीब

पं0 नेहरू से मिलने एक व्यक्ति आये। बातचीत के दौरान उन्होंने पूछा-’’पंडित जी आप 70 साल के हो गये हैं लेकिन फिर भी हमेशा गुलाब की तरह तरोताजा दिखते हैं। जबकि मैं उम्र में आपसे छोटा होते हुए भी बूढ़ा दिखता हूँ।’’ इस पर हँसते हुए नेहरू जी ने कहा-’’इसके पीछे तीन कारण हैं।’’ उस व्यक्ति ने आश्चर्यमिश्रित उत्सुकता से पूछा, वह क्या ? नेहरू जी बोले-’’पहला कारण तो यह है कि मैं बच्चों को बहुत प्यार करता हूँ। उनके साथ खेलने की कोशिश करता हूँ, जिससे मुझे लगता है कि मैं भी उनके जैसा हूँ। दूसरा कि मैं प्रकृति प्रेमी हूँ और पेड़-पौधों, पक्षी, पहाड़, नदी, झरना, चाँद, सितारे सभी से मेरा एक अटूट रिश्ता है। मैं इनके साथ जीता हूँ और ये मुझे तरोताजा रखते हैं।’’ नेहरू जी ने तीसरा कारण दुनियादारी और उसमें अपने नजरिये को बताया-’’दरअसल अधिकतर लोग सदैव छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं और उसी के बारे में सोचकर अपना दिमाग खराब कर लेते हैं। पर इन सबसे मेरा नजरिया बिल्कुल अलग है और छोटी-छोटी बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।’’ इसके बाद नेहरू जी खुलकर बच्चों की तरह हँस पड़े।

सोचिये , क्या हम भी इस ओर प्रेरित हो सकते हैं- बचपन के करीब, प्रकृति के करीब और छोटी-छोटी बातों में उलझने की बजाय थोडा व्यापक सोच !!

31 टिप्‍पणियां:

रंजन (Ranjan) ने कहा…

प्रेरक..

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज करना ही बेहतर..बढ़िया विचार..

संजय पाराशर ने कहा…

anukarniy.... kissa.

Udan Tashtari ने कहा…

मैं तो हमेशा से इन तीनों बातों से प्रेरित हूँ बल्कि नेहरु जी की चौथी बात से भी... :) लेडी माउन्टबेटन वाली...मजाक कर रहा हूँ.. उससे नहीं. :) बस तीन बातें. :)

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

bahur hi prerak

hum sab ko isse prerna leni chahiye

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…

प्रेरक प्रसंग है .. अच्छा लगा ...इस तरह के और भी प्रसंग हों तो लिखिए

Shekhar Kumawat ने कहा…

वाह वाह

बहुत बहुत धन्यवाद

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

VERY MOTIVATING. YOU SAID IT RIGHT, THE MOTIVATION/INTUITION CAN BE TAKEN FROM ANY THING/ANYBODY

S R Bharti ने कहा…

sir ,
bahut sunder aur prerak gyan bodh

Arvind Mishra ने कहा…

छोटे मुंह बड़ी बात मगर सच मानिये ये तीनो बातें मुझमें हैं -अब मैं अपने लम्बे यौवंनपूर्ण जीवन के प्रति आश्वस्त हो सकता हूँ -बहुत आभार !

Arvind Mishra ने कहा…

...और हाँ वो माउन्ट बैटन वाली बात भी सही है -समीर लाल जी तनिक सकुचा गए हैं !

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

सोचिये , क्या हम भी इस ओर प्रेरित हो सकते हैं-बचपन के करीब, प्रकृति के करीब और छोटी-छोटी बातों में उलझने की बजाय थोडा व्यापक सोच... अब तो प्रेरित होना ही पड़ेगा.

Arvind Mishra ने कहा…

आपके पोस्ट का उल्लेख यहाँ है -
http://mishraarvind.blogspot.com/2010/06/blog-post_10.html

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

अच्छी प्रेरणा मिली..आभार.

Bhanwar Singh ने कहा…

मुझे भी इन चीजों से लगाव है-बचपन, प्रकृति पर तीसरी बात के सम्बन्ध में कंफ्युजद हूँ.

डॉ टी एस दराल ने कहा…

प्रेरक बातें ।
आभार ।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अले वाह, अब तो मैं भी नेहरु चाचा की तरह बनूँगी.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

मैं प्रकृति प्रेमी हूँ और पेड़-पौधों, पक्षी, पहाड़, नदी, झरना, चाँद, सितारे सभी से मेरा एक अटूट रिश्ता है। मैं इनके साथ जीता हूँ और ये मुझे तरोताजा रखते हैं...प्रकृति का सानिध्य भला किसे अच्छा नहीं लगता.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ समीर जी,
यूँ ही नहीं कहा गया है कि हर पुरुष की सफलता के पीछे किसी न किसी महिला का हाथ होता है. नेहरु जी को प्रधानमंत्री की गद्दी तक पहुँचाने में लेडी माउन्टबेन की भूमिका पर बहुत कुछ लिखा-कहा जा चुका है. यह अलग बात है कि इस सम्बन्ध की नैतिकता घेरों में रही है.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ Pragya Ji,

आपकी हौसलाआफजाई के लिए आभार..कोशिश करुँगी.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ Arvind ji,

यह तो बहुत ख़ुशी की बात है. ..इस पोस्ट के बहाने एक व्यापक चर्चा के लिए आभार !!

Akanksha Yadav ने कहा…

ब्लागर साथियों की सुविधा के लिए अरविन्द मिश्र जी की पोस्ट यहाँ कापी कर रही हूँ, जो "...समीरलाल जी ने किया नेहरू जी के फार्मूले में संशोधन .....!" शीर्षक से लिखा गया है- (साथ में नेहरु-माउन्टबेन-एडविना माउन्टबेन की बहुचर्चित तस्वीर भी लगाई गई है. )

आज कुछ भी तो ऐसा नहीं था कि यहाँ लिखा जाय .मगर तभी निगाहें पडी पर शब्द शिखर के इस ब्लॉग पोस्ट पर जिसमें सत्तर वर्ष में भी युवा बने रहने का नुस्खा दिया गया है .आप उस पोस्ट को पहले पढ़ लें ..फिर यहाँ आगे पढ़ें -बात नेहरू जी की है जिनसे किसी सज्जन ने पूछा कि उनके चिरयौवन का राज क्या है -नेहरू जी ने त्रिसूत्री फार्मूला गिना दिया -
१-पहला बच्चों से प्रेम करो -उनके बीच बच्चे बन जाओ !
२-प्रकृति में मन रमा लो -पेड़ -रूख ,पशु पक्षी को निरखो परखो
३-छोटी मोटी दुनियादारी की बातों से दूर रहो ..

नेहरू जी से कुछ अनजान भूले जरूर हुईं मगर थे बड़े सहज सरल व्यक्ति ,उन्हें गुस्सा तेजी से आता और उतनी तेजी से उतर भी जाता ...हाँ अभिजात संस्कार थे उनके ..मगर अभिजात्यता कोई बुरी बात तो नहीं .....मैंने उस ब्लॉग पोस्ट पर ये टिप्पणी की -
छोटे मुंह बड़ी बात मगर सच मानिये ये तीनो बातें मुझमें हैं -अब मैं अपने लम्बे यौवंनपूर्ण जीवन के प्रति आश्वस्त हो सकता हूँ -बहुत आभार !
तभी मेरी निगाह ब्लॉग युवा ह्रदय सम्राट समीरलाल जी के कमेन्ट पर सहसा पड़ गयी -
मैं तो हमेशा से इन तीनों बातों से प्रेरित हूँ बल्कि नेहरु जी की चौथी बात से भी... :) लेडी माउन्टबेटन वाली...मजाक कर रहा हूँ.. उससे नहीं. :) बस तीन बातें. :)

और मैंने फिर टिपियाया ...


..और हाँ वो लेडी माउन्टबेटन वाली बात भी सही है -समीर लाल जी तनिक सकुचा गए हैं !

मेरा निजी मत है कि चिर यौवन में इस चौथे नुस्खे की भूमिका अवश्य है ..और इसके जैवरासायनिक पहलू भी हो सकते हैं ... समीर जी के अनुभव ऐसे ही हंसी मजाक में उड़ाने लायक नहीं हैं उन्होंने बात को हल्का और सार्वजानिक शिष्टाचार का मान रखने के लिए हंसी में ले लिया है मगर नेहरू जी के चौथे फार्मूले की ओर शरारती इशारा ही नहीं किया कुछ अपने अनिश्चय को भी इस महापंचायत के बीच जाहिर कर दिया ( :) ) ! और हाँ यहाँ लेडी माउंटबेटन से किसी अकेली संज्ञां का अभिप्राय नहीं है वे सर्वनाम को संबोधित कर रही हैं ..

तो मैं इसी निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि चिर यौवन के लिए तीन नहीं नेहरु जी का चतुर्सूत्री फार्मूला निश्चित ही कारगर है!
शुक्रिया समीर जी ,इस बड़े योगदान के लिए .....ब्लॉग इतिहास आपको भी नेहरू फार्मूले में संशोधन के लिए याद रखेगा ! मैं व्यक्तिगत रूप से .....अब इसमें कोई शक नहीं रहा !

Shahroz ने कहा…

सुन्दर व सार्थक सोच को बढ़ावा देती पोस्ट..बधाई.

Shahroz ने कहा…

आकांक्षा जी ने बात जितनी ही मासूमियत से पेश की, ब्लॉग जगत के तथाकथित बड्कों ने उसमें तड़का लगाकर उसका रुख ही मोड़ दिया. समीर जी तो बस बात कह गए पर अरविन्द मिश्र जी तो उनसे भी बड़े क्रांतिकारी निकले. कहीं खुद के नेहरु होने का भ्रम तो नहीं पाल लिया..हा..हा..हा..वैसे मैं मजाक कर रही थी.

Unknown ने कहा…

अतिसुन्दर प्रेरक प्रस्तुति...आकांक्षा जी को बधाई.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत ही प्रेरक....

Urmi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और शानदार आलेख! उम्दा प्रस्तुती!

मीनाक्षी ने कहा…

मिश्राजी की पोस्ट पढ़ते हुए यहाँ आए...प्रेरक पोस्ट...सोलह आने सच बात है कि अगर हम इन तीन सूत्रों में जीवन को बाँध ले तो ताउम्र बच्चों जैसे ही रहेगे..

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर व सार्थक पोस्ट..बधाई.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बात में दम तो है...

KK Yadav ने कहा…

क्या खूब कही...हम भी चले इसी रास्ते पर.