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सोमवार, 10 जनवरी 2011

प्रेम गीत : यशोधरा यादव ‘यशो‘

आपके दामन से मेरा, जन्म का नाता रहा है ,
प्यार की गहराइयों का, राज बतलाता रहा है।

मौन मत बैठो कहो कुछ, आज मौसम है सुहाना,
कलखी धुन ने बजाया, प्यार का मीठा तराना।
एक सम्मोहन धरा की, मूक भाषा बोलती है,
और नभ दे दुंदुभी, नवरागिनी गाता रहा है।
आपके दामन......................।

प्यार का मकरन्द भरकर, बादलों का टोल आया,
आम की अमराइयों में, हरित ने आँचल बिछाया।
सूर्य का लुक-छुप निकलना, मुस्कराना देखकर,
मन मयूरी नृत्य कर, कर मान इतराता रहा है।
आपके दमन......................।

भाव का कोई शब्द ही तो, मेरे उर को भेदता है,
गीत की हर पंक्ति बनकर, नव सुगंध बिखेरता है।
बंसुरी की धुन बजाता है, कहीं कान्हा सुरीली,
और चितवन राधिका का, पाँव थिरकाता रहा है।
आपके दामन......................।

दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।
आपके दामन......................।


यशोधरा यादव 'यशो'

22 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

यशोधरा यादव का सुन्दर प्रेम गीत...बधाई.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत गीत ..

राज भाटिय़ा ने कहा…

अति सुंदर गीत धन्यवाद

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sundar sabd sanrachna ke saath khubsurat prem geet...:)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

यह भाव सदा पल्लवित होता रहे।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बहुत सुंदर.

babanpandey ने कहा…

बेहद सुंदर

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

प्रेम का बहुत ही सुंदर वर्णन ........ सुंदर प्रस्तुति.

Ram Avtar Yadav ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति.

vandana gupta ने कहा…

खूबसूरत गीत .

Unknown ने कहा…

दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।

...बहुत सुन्दर प्रेम गीत...बधाई.

Unknown ने कहा…

दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।

...बहुत सुन्दर प्रेम गीत...बधाई.

संजय भास्‍कर ने कहा…

...बहुत सुन्दर प्रेम गीत...बधाई.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत बढ़िया,

Kunwar Kusumesh ने कहा…

दीप तेरा प्यार बनकर, झिलमिलाते द्वार मेरे,
आज कोयल गीत प्रियवर, गा रही उपवन सवेरे।
मन समुंदर की हिलोरे, चूमती बेताब तट की,
रूख हवाओं का विहंस कर, गुनगुनाता जा रहा है।
आपके दामन......................।

गीत सुन्दर है.

KK Yadav ने कहा…

यशोधरा यादव की कुछेक कवितायेँ पढ़ी हैं, पर यहाँ अंतर्जाल पर पहली बार पढ़ा...सुखद लगा.

Akanksha Yadav ने कहा…

आप सभी लोगों को यशोधरा यादव जी के प्रेम गीत की प्रस्तुति पसंद आई...आभार !!

यशोधरा यादव 'यशो' ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय

यशोधरा यादव 'यशो' ने कहा…

आत्मिक आभार आदरणीय

यशोधरा यादव 'यशो' ने कहा…

आत्मिक आभार बहन संख्या जी

यशोधरा यादव 'यशो' ने कहा…

आत्मिक आभार आदरणीय

यशोधरा यादव 'यशो' ने कहा…

आत्मिक आभार आदरणीय