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रविवार, 3 अगस्त 2014

फ्रेण्डशिप-डे : ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे


मित्रता किसे नहीं भाती। यह अनोखा रिश्ता ही ऐसा है जो जाति, धर्म, लिंग, हैसियत कुछ नहीं देखता, बस देखता है तो आपसी समझदारी और भावों का अटूट बन्धन। इस जहां में हर रिश्तों पर भारी है मित्रता का रिश्ता। बशर्ते मित्र सच्चा हो। वैसे इस भौतिकवादी युग में सच्चे मित्रों को तलाश पाना टेढ़ी खीर है। जब दिन अच्छे होते है तो मित्रों की भारी-भरकम फौज साथ होती है, दिन खराब हुए तो यह फौज गायब हो जाती है। जो बुरे दिनों में काम आए वही सच्चा मित्र है। उसी पर भरोसा किया जा सकता है। लोग आज भी प्रभु कृष्ण व सुदामा की दोस्ती नहीं भूलते। त्रेता युग के प्रभु राम व सुग्रीव की दोस्ती लोगों को आज भी याद है। ऐसे ही तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ मित्रता ने हार जीत के अर्थ तक बदल दिये। सिकन्दर-पोरस का संवाद इसका जीवंत उदाहरण है। मित्रता या दोस्ती का दायरा इतना व्यापक है कि इसे शब्दों में बाँंधा नहीं जा सकता। दोस्ती वह प्यारा सा रिश्ता है जिसे हम अपने विवेक से बनाते हैं। अगर दो दोस्तों के बीच इस जिम्मेदारी को निभाने में जरा सी चूक हो जाए तो दोस्ती में दरार आने में भी ज्यादा देर नहीं लगती। सच्चा दोस्त जीवन की अमूल्य निधि होता है। दोस्ती को लेकर तमाम फिल्में भी बनी और कई गाने भी मशहूर हुए-

                                   ये तेरी मेरी यारी
                                   ये दोस्ती हमारी
                                   भगवान को पसन्द है
                                   अल्लाह को है प्यारी।

     ऐसा ही एक अन्य गीत है-

                                ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
                                छोड़ेंगे दम मगर
                                तेरा साथ न छोड़ेंगे।

    हाल ही में रिलीज हुई एक अन्य फिल्म के गीतों पर गौर करें-

                               आजा मैं हवाओं में बिठा के ले चलूँ
                               तू ही-तू ही मेरा दोस्त है।

दोस्ती की बात पर याद आया कि आजकल ‘फ्रेण्डशिप-डे‘ मनाने का चलन भी जोरों पर है। यद्यपि इस बात से इत्तफाक नहीं रखा जा सकता कि किसी संबंध को दिन विशेष के लिए निर्धारित कर दिया जाय, पर उस दिन का आनन्द लेने में कोई हर्ज भी नहीं दिखता। फ्रेण्डशिप कार्ड, क्यूट गिफ्ट्स और फ्रेण्डशिप बैण्ड से इस समय सारा बाजार पटा पड़ा है। हर कोई एक अदद अच्छे दोस्त की तलाश में है, जिससे वह अपने दिल की बातें शेयर कर सके। पर अच्छा दोस्त मिलना वाकई एक मुश्किल कार्य है। दोस्ती की कसमें खाना तो आसान है पर निभाना उतना ही कठिन। आजकल तो लोग दोस्ती में भी गिरगिटों की तरह रंग बदलते रहते हैं। पर किसी शायर ने भी खूब लिखा है-

                              दुश्मनी जमकर करो
                              लेकिन ये गुंजाइश रहे
                              कि जब कभी हम दोस्त बनें
                              तो शर्मिन्दा न हों।


मित्रों के बिना जीवन की कल्पना ही अधूरी है। कोई मित्र यूंँ ही नहीं बन जाता, बल्कि उसके पीछे तमाम बातें होती  हैं।  अब तो वैज्ञानिक भी इस पर शोध कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया और येल यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध की मानें तो मित्रों की सिर्फ आदतें  या सोचने का तरीका ही एक जैसा नहीं होता बल्कि उनका डीएनए भी समान होता है। अब तक सिर्फ पारिवारिक सदस्यों के डीएनए ही एक जैसे होने की बात कही जाती रही है, पर अब तो दोस्तों का डीएनए भी तकरीबन उतना ही मिलता है, जितना दूर के रिश्तेदारों का।

फिलहाल, फ्रेण्डशिप-डे की बात करें तो भारत सहित दुनिया के अनेक देशों में परंपरानुसार यह अगस्त माह के प्रथम रविवार को मनाया जाता है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा 1935 में अगस्त माह के प्रथम रविवार को दोस्तों के सम्मान में ‘राष्ट्रीय मित्रता दिवस‘ के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था। इस अहम दिन की शुरूआत का उद्देश्य प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उपजी कटुता को खत्म कर सबके साथ मैत्रीपूर्ण भाव कायम करना था। पर कालांतर में यह सर्वव्यापक होता चला गया। दोस्ती का दायरा समाज और राष्ट्रों के बीच ज्यादा से ज्यादा बढ़े, इसके मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बकायदा 1997 में लोकप्रिय कार्टून कैरेक्टर विन्नी और पूह को पूरी दुनिया के लिए दोस्ती के राजदूत के रूप में पेश किया। 


इस फ्रेण्डशिप-डे पर बस यही कहना उचित होगा कि सच्चा दोस्त वही होता है जो अपने दोस्त का सही मायनों में विश्वासपात्र होता है। अगर आप सच्चे दोस्त बनना चाहते हैं तो अपने दोस्त की तमाम छोटी-बड़ी, अच्छी-बुरी बातों को उसके साथ तो शेयर करें लेकिन लोगों के सामने उसकी कमजोरी या कमी का बखान कभी न करें , नहीं तो आपके दोस्त का विश्वास उठ जाएगा क्योंकि दोस्ती की सबसे पहली शर्त होती है विश्वास। हाँ, एक बात और। उन पुराने दोस्तों को विश करना न भूलें जो हमारे दिलों के तो करीब हैं, पर रहते दूरियों पर हैं।

एक बात और भी महत्वपूर्ण है कि आजकल लड़के-लड़कियाँ भी अच्छे दोस्त होते हैं, लेकिन इस दोस्ती की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए इसकी गरिमा बनाए रखना जरूरी है। सच्चा मित्र जीवन के लिए वरदान जैसा होता है। ऐसे में आज जरूरत है सच्चे दोस्तों की।

फ्रेण्डशिप-डे : ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे 
(डेली न्यूज एक्टिविस्ट, 3 अगस्त 2014 में आकांक्षा यादव का फ्रेण्डशिप-डे पर आलेख)


- आकांक्षा यादव


सच्चा मित्र जीवन के लिए वरदान जैसा 
(जनसंदेश टाइम्स, 3 अगस्त 2014 में आकांक्षा यादव का फ्रेण्डशिप-डे पर आलेख)


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