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शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

एक चवन्नी का जाना...


चवन्नी 30 जून से इतिहास बन गई. पर जो लोग चवन्नी के साथ बड़े हुए हैं, क्या इसे भुला पायेंगें. एकन्नी-दुअन्नी-चवन्नी...न जाने इसको लेकर कितने मुहावरे हैं, मीठी यादें हैं. बचपन में यह चवन्नी ही बच्चों को चुप करने के लिए काफी होती थी, आखिर इतने में ही बिस्कुट-चाकलेट और मिठाइयाँ तक मिल जाती थीं. पर आज चवन्नी छोडिये पचास पैसे और एक रूपये का भी कोई मोल नहीं बचा. जब हम लोक स्कूल में पढ़ते थे तो किसी भी खेल-कूद प्रतियोगिता के लिए एक रूपये के सिक्के से टॉस किया जाता था और टास जीतने वाला उस एक रूपये से उस दौर में पूरे एक पैकेट ग्लूकोज बिस्किट खरीदकर अपनी टीम के सदस्यों को खिलाता था. एक रूपये का जेब-खर्च भी तब मायने रखता था, और आज भिखारी भी एक रूपये में नहीं मानता, चवन्नी-अठन्नी की तो बात ही दूर है. शादियों में दूल्हे की गाड़ी पर शगुन रूप में धान के लावे के साथ मिलाकर सिक्के फेंके जाते थे. बच्चों में यही क्रेज रहता था की किसने ज्यादा सिक्के बटोरे ? पर यह सब तो मानो, अब बाबा-आदम के ज़माने की बातें लगती हैं.

जब कृष्ण कुमार जी से मेरी शादी हुई तो एक दिन उन्होंने एक बड़ी सी पोटली मेरे सामने रखी. मैंने उत्सुकतावश खोला तो उसके ढेर सारे सिक्के थे. एक आने से लेकर न जाने किन-किन देशों के. पता चला कि ये बचपन से ही इन्हें एकत्र करने का शौक रखते हैं. इन सिक्कों की कीमत आज भी बाजार में काफी ज्यादा है, उस पर से मिलना तो दूभर ही है. बिटिया अक्षिता (पाखी) को बताया तो पहले चवन्नी शब्द ही सुनकर खूब हँसी, फिर चवन्नी दिखाने को कहा. जब किसी तरह चवन्नी मैनेज की तो बोली कि यह तो 25 पैसे हैं, इसे चवन्नी क्यों कहते हैं ? शायद नई पीढ़ी को आने का मतलब भी नहीं पता होगा, आखिर उनकी शुरुआत ही सैकड़ा से आरंभ होती है. जेब-खर्च भी भरी-भरकम हो गया है. गलती उनकी भी नहीं है, महंगाई जो न कराए.

चवन्नी की महिमा फिर भी कम नहीं हुई है. रिजर्व बैंक की माने तो पिछले वर्ष 31 मार्च, 2010 तक बाजार में पचास पैसे से कम मूल्य वाले कुल 54 अरब 73 करोड़ 80 लाख सिक्के प्रचलन में थे, जिनकी कुल कीमत 1,455 करोड़ रूपये मूल्य के बराबर है. बाजार में प्रचलित कुल सिक्कों का यह 54 फीसदी तक है. मतलब चवन्नी जैसे सिक्के भले ही प्रचलन से बाहर हो जाएँ, पर चवन्नी की वैल्यू बनी हुई है. अब तो चवन्नी एक तो ढूंढे नहीं मिलेगी, उस पर से संग्रहालय की वस्तु बन जाएगी. संग्राहक ज्यादा दाम देकर भी इसे अपने पास रखना चाहेंगें.

चवन्नी की महिमा अभी भी बरकरार है. चवन्नी के नाम पर कहावतें हैं, मुहावरें हैं, गालियां हैं, ब्लॉग हैं....पर बस नहीं है तो चवन्नी !!

14 टिप्‍पणियां:

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

चवन्नी की महिमा अभी भी बरकरार है. चवन्नी के नाम पर कहावतें हैं, मुहावरें हैं, गालियां हैं, ब्लॉग हैं....पर बस नहीं है तो चवन्नी !! ..बहुत सही लिखा.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

चवन्नी की महिमा अभी भी बरकरार है. चवन्नी के नाम पर कहावतें हैं, मुहावरें हैं, गालियां हैं, ब्लॉग हैं....पर बस नहीं है तो चवन्नी !! ..बहुत सही लिखा.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

@चवन्नी के नाम पर कहावतें हैं, मुहावरें हैं, गालियां हैं, ब्लॉग हैं....पर बस नहीं है तो चवन्नी !!
सही है.यह अतीत की बात हो गयी.

Mansoor ali Hashmi ने कहा…

एक चवन्नी 'चली नहीं' और एक चवन्नी 'चली गयी' !
इन्द्रप्रस्थ की शान कभी थी, न जाने कौन गली गयी.!!

http://aatm-manthan.com

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अब इन पैसों का क्या होगा।

Vivek Jain ने कहा…

वक्त वक्त की बात है,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

KK Yadav ने कहा…

..हमारे पास तो अभी भी ढेर सारी चवन्नी का कलेक्शन है. अब तो उनका बाजार-मूल्य भी बढ़ जायेगा.

Shahroz ने कहा…

चवन्नी चली गई, पर ढेर सारी यादों के साथ. रोचक पोस्ट..बधाई.

Shahroz ने कहा…

@ KK Sir Ji,

..हमारे पास तो अभी भी ढेर सारी चवन्नी का कलेक्शन है. अब तो उनका बाजार-मूल्य भी बढ़ जायेगा....Fir to apki balle-balle hai.

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

चवन्नी चली गयी,पर यादें छोड़ गयी.........
पहले तो पापा से चवन्नी के किस्से सुना करते थे की कितनी मूल्यवान हुआ करती थी कभी ये चवन्नी,उसे देख कर खुश होते थे की इतनी छोटी कितनी करामाती थी.अब तो बस येही गायेंगे--जाने कहाँ गए वो दिन....!!!

नश्तरे एहसास ......... ने कहा…

aapke 200 followers hone par badhai...vese hum aapke 200th follower ban rahe hai,hahaha....
congrats!!!
and u have a very sweet daughter:):)

Bhanwar Singh ने कहा…

चवन्नी को याद करने का शानदार तरीका..अच्छा लगा.

Bhanwar Singh ने कहा…

Congts. for 200 followers.

Akanksha Yadav ने कहा…

@ नेहा जी,

200 वां फालोवर बनाने के लिए आभार और बधाई. आप सबकी दुआ है. आपका प्रोत्साहन हमारा संबल है. आभार.